शुगर / डायबिटीज़ वालों के लिए चिकन सुक्का

 

सामग्री:

  • 500 ग्राम बोनलेस चिकन (chicken breast preferable for low fat)
  • 2 बड़े चम्मच हल्का वर्जिन जैतून का तेल (alternatively olive oil is rich in healthy fats)
  • 1 बड़ा प्याज (कद्दूकस किया हुआ)
  • 2-3 लहसुन की कलियां (बारीक कटी हुई)
  • 1 इंच अदरक (कद्दूकस किया हुआ)
  • 2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)
  • 1 बड़ा चम्मच धनिया पाउडर
  • 1 चम्मच जीरा पाउडर
  • 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर (स्वाद अनुसार)
  • नमक (स्वाद अनुसार)
  • धनिया पत्ते (सजावट के लिए)

बनाने की विधि:

  1. सबसे पहले, चिकन को अच्छे से धोकर छोटे टुकड़ों में काट लें। यह ध्यान रहे कि क्यूब्स का आकार समान हो ताकि सभी टुकड़े एकसाथ पकें।
  2. एक कढ़ाई या कड़ाही में हल्का वर्जिन जैतून का तेल डालें और मध्यम आंच पर गर्म करें। जैतून का तेल हेल्दी फैट्स से भरा होता है जो कि शुगर कंट्रोल में मददगार है।
  3. जब तेल गर्म हो जाए, तो उसमें कद्दूकस किया हुआ प्याज डालें और उसे सुनहरा भूरा होने तक भूनें। प्याज के भूनने से उसकी खुशबू और स्वाद बढ़ता है।
  4. इसके बाद, लहसुन और अदरक डालें। इन्हें 1-2 मिनट तक भूनें। इससे चिकन में अच्छा फ्लेवर आएगा।
  5. अब हरी मिर्च डालें और उसे अच्छी तरह से मिक्स करें। इसके बाद सभी सूखे मसाले जैसे धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, हल्दी पाउडर, और लाल मिर्च पाउडर डालें। इन्हें मिलाकर भूनें ताकि मसाले अच्छे से फोटोत हो जाएँ।
  6. अब इसमें चिकन के टुकड़े डालें और अच्छी तरह से मिलाएँ ताकि चिकन मसाले के साथ समा जाए। इस प्रक्रिया में लगभग 5-7 मिनट का समय लग सकता है।
  7. फिर, एक कप पानी डालें और ढक्कन लगाकर चिकन को मध्यम आंच पर पकने दें। यह सुनिश्चित करें कि चिकन अच्छी तरह से पक जाए और ग्रेवी गाढ़ी हो जाए।
  8. अंत में, स्वाद के अनुसार नमक डालकर एक बार और अच्छे से मिलाएँ। 5 मिनट और पकाएँ।
  9. गैस बंद करने के बाद, चिकन सुक्का को धनिया पत्तों से सजाएँ और गरमा गर्म परोसें।

सर्व करने की विधि:

इस चिकन सुक्का को आप ब्राउन राइस या चपाती के साथ सर्व कर सकते हैं। ब्राउन राइस फाइबर से भरपूर होता है जो कि शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।

स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार आवश्यक है। अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लें।

इस लेख  में हमने शुगर / डायबिटीज़ वालों के लिए चिकन सुक्का बनाने की रेसिपी को सरल और विस्तार से प्रस्तुत किया है। सामग्री, विधि और सेवा करने के सुझाव भी शामिल किए गए हैं। जैतून के तेल का उपयोग हेल्दी फैट्स के लिए किया गया है जो डायबिटीज़ में फायदेमंद होते हैं।

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पौष्टिक जानकारी

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ग्लाइसेमिक इंडेक्स

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ग्लाइसेमिक लोड

25

मैग्नीशियम

25

पोटैशियम

200

कैलोरी

30

प्रोटीन

4

कार्बोहाइड्रेट

2

फाइबर

8

वसा

सामान्य सुझाव और टिप्स

  • General Cooking Tips:
    • चिकन को पहले से मैरिनेट करें ताकि मसालों का स्वाद अच्छे से समा जाए।
    • चिकन को मध्यम आंच पर पकाएं ताकि इसका टेंडरनेस बना रहे।
    • पकाने के लिए नारियल का तेल या शुद्ध घी का उपयोग करें।
  • Diabetic-Friendly Substitutions:
    • सादा दही का प्रयोग करें क्रिमी टेक्सचर के लिए, मलाईदार दही भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • अगर भुने हुए नारियल की आवश्यकता हो, तो इसे कम मात्रा में डालें।
    • चावल के बजाय क्विनोआ या बुरथेन का सेवन करें, इनसे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।
  • Health Benefits:
    • चिकन उच्च प्रोटीन का स्रोत है, जो मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है।
    • नारियल में स्वस्थ वसा होती है, जो कि इन्फ्लेमेशन को कम कर सकती है।
    • कोरियांदर और अदरक ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
  • Serving & Storage Tips:
    • एक सर्विंग लगभग 100-150 ग्राम चिकन रखी जानी चाहिए।
    • बचे हुए चिकन सुक्का को एयरटाइट कंटेनर में फ्रिज में 3-4 दिन तक रख सकते हैं।
    • गर्म करने से पहले थोड़ी मात्रा में पानी डालें ताकि यह सूखा न हो।
  • Common Mistakes to Avoid:
    • चिकन को ज्यादा नहीं पकाएं, वरना यह सूखा और टेढ़ा बन सकता है।
    • मसालों की मात्रा का ध्यान रखें, ज्यादा नमक और शक्कर से बचें।
    • कच्ची सब्जियों को न जोड़ें जो पकाने के अंत में अतिरिक्त मिठास लाए।

डायबिटीज़ (मधुमेह) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का इंसुलिन उत्पादन या उपयोग करने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इस स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए  पोषण संबंधी जानकारी का सही ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। पोषण से जुड़े कारकों का सीधा असर ब्लड शुगर के स्तर, इंसुलिन संवेदनशीलता और समग्र स्वास्थ्य पर पड़ता है। उचित आहार और संतुलित पोषण न केवल ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं, बल्कि हृदय, पाचन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में भी आहार संतुलन को रोग निवारण का प्रमुख माध्यम माना गया है, जिसमें शरीर के दोष (वात, पित्त, कफ) के अनुसार पोषण संतुलन बनाए रखने की सलाह दी जाती है।

कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) का सेवन डायबिटीज़ में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं, तो शरीर इसे ग्लूकोज (शुगर) में परिवर्तित करता है, जो रक्त प्रवाह में मिलकर ऊर्जा प्रदान करता है। हालांकि, सभी कार्बोहाइड्रेट समान रूप से कार्य नहीं करते। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वाले कार्बोहाइड्रेट जैसे सफेद चावल, सफेद ब्रेड और चीनी तेजी से टूटते हैं और ब्लड शुगर को अचानक बढ़ाते हैं। इसके विपरीत, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ जैसे ओट्स, बाजरा, और साबुत अनाज धीरे-धीरे टूटते हैं और ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि मधुमेह के लिए “मधुर रस” (मीठे स्वाद) का संतुलित सेवन आवश्यक है, लेकिन इसे प्राकृतिक स्रोतों जैसे फल और शहद तक सीमित रखना चाहिए।

प्रोटीन (Protein) का सेवन डायबिटीज़ रोगियों के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को सीधे तौर पर नहीं बढ़ाता। प्रोटीन पाचन की गति को धीमा करता है, जिससे कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण की गति भी धीमी हो जाती है। इससे ब्लड शुगर स्तर स्थिर रहता है और इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर होती है। प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में अंडा, दही, मूंग दाल, राजमा और मछली शामिल हैं। आयुर्वेद में भी प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को “बलवर्धक” और “ऊर्जा प्रदायक” माना गया है। विशेष रूप से मूंग दाल और पनीर को सात्त्विक भोजन में रखा गया है, जो मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए उपयोगी होते हैं।

वसा (Fats) का प्रभाव डायबिटीज़ में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता, लेकिन यह शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित करता है। असंतृप्त वसा जैसे जैतून का तेल, तिल का तेल, एवोकाडो और नट्स का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि ये इंसुलिन के कार्य को बेहतर बनाते हैं। ट्रांस फैट और संतृप्त वसा जैसे पैकेज्ड फूड, फ्राइड फूड और प्रोसेस्ड मीट से बचना जरूरी है क्योंकि ये इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) को बढ़ा सकते हैं। आयुर्वेद में तिल और नारियल के तेल को वात और पित्त को शांत करने वाला बताया गया है, जिससे शरीर में सूजन और ग्लूकोज अवशोषण की गति नियंत्रित रहती है।

फाइबर (Fiber) डायबिटीज़ के प्रबंधन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। फाइबर युक्त भोजन पाचन को धीमा करता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है। घुलनशील फाइबर जैसे ओट्स, सेब, बीन्स और मसूर की दाल ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करते हैं। वहीं, अघुलनशील फाइबर जैसे ब्रोकली, गोभी और गाजर पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। आयुर्वेद में आंतों के स्वास्थ्य को “समा अग्नि” (संतुलित पाचन अग्नि) से जोड़ा गया है, और फाइबर युक्त आहार को “वात संतुलित” बताया गया है। बाजरा और रागी जैसे अनाज को पाचन अग्नि को प्रबल बनाने के लिए उत्तम माना गया है।

कैलोरी (Calories) का नियंत्रण डायबिटीज़ रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है। अधिक कैलोरी के सेवन से मोटापा बढ़ सकता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध की संभावना अधिक हो जाती है। आयुर्वेद में भी शरीर के ऊर्जा संतुलन को त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के संतुलन से जोड़ा गया है। कम कैलोरी वाला आहार, जिसमें हरी सब्ज़ियाँ, फलियां और साबुत अनाज शामिल हों, शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है और वजन को नियंत्रित करता है। डायबिटीज़ के रोगियों के लिए नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के भोजन के बीच अंतराल बनाए रखना जरूरी है ताकि शरीर को ऊर्जा मिलती रहे और ब्लड शुगर स्तर स्थिर रहे।

पोटैशियम (Potassium) और मैग्नीशियम (Magnesium) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी डायबिटीज़ प्रबंधन में भूमिका निभाते हैं। पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और कोशिकाओं में इंसुलिन के सही उपयोग में मदद करता है। केले, शकरकंद, एवोकाडो और पालक जैसे खाद्य पदार्थ पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं। मैग्नीशियम मांसपेशियों के कार्य, तंत्रिका तंत्र और ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए जरूरी है। फ्लैक्स सीड्स, कद्दू के बीज और पालक मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं। आयुर्वेद में पत्तेदार सब्ज़ियों और बीजों को “सात्त्विक आहार” के रूप में बताया गया है, जो शरीर को शुद्ध और ऊर्जावान बनाए रखते हैं।

डायबिटीज़ रोगियों के लिए भोजन का समय, मात्रा और गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार, “अल्प मात्रा में भोजन ग्रहण करने से शरीर में वात, पित्त और कफ संतुलित रहते हैं।” प्रत्येक मील में प्रोटीन, फाइबर और स्वस्थ वसा का संतुलन ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है। भूख लगने पर फलों और नट्स का सेवन करना और प्रोसेस्ड फूड से बचना ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए उपयोगी है। आयुर्वेद में अनाज, दाल, मौसमी फल और सब्ज़ियों को प्रमुखता दी गई है क्योंकि ये शरीर के संतुलन और प्राकृतिक चयापचय (Metabolism) को बनाए रखते हैं।

डायबिटीज़ के रोगियों के लिए संतुलित आहार, नियमित दिनचर्या और सही पोषण से न केवल ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाया जा सकता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शरीर का “समा दोष” (संतुलित दोष) और “प्रकृति के अनुसार आहार” अपनाने से शरीर की इंसुलिन प्रतिक्रिया बेहतर होती है और डायबिटीज़ प्रबंधन में सहायता मिलती है।